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Chapter 03 : धातु और अधातु

अध्याय 03: धातु और अधातु

 

तत्वों को उनके गुणधर्मों के आधार पर मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जाता है – धातु एवं अधातु। नीचे धातु और अधातु के भौतिक गुणधर्मों का तुलना तालिका के रूप में दी गई है:

1. भौतिक गुणधर्मों

 

गुणधर्म धातु अधातु
1. धात्विक चमक धातु की सतह चमकदार होती है।

अधातुएँ चमकीली नहीं होतीं।

*आयोडीन (I) अधातु होते हुए भी चमकीला होता है।

2. कठोरता

धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं।

*लीथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K) मुलायम होते हैं।

अधातुएँ सामान्यतः कठोर नहीं होतीं।

*हीरा (कार्बन का अपरूप) सबसे कठोर होता है।

3. रूप

कमरे के ताप पर अधिकांश धातुएँ ठोस रूप में पाई जाती हैं।

*केवल पारा (Hg) द्रव रूप में होता है।

अधातुएँ ठोस या गैसीय रूप में पाई जाती हैं।

*ब्रोमीन (Br) द्रव रूप में होती है।

4. आघातवर्ध्यता धातुओं को पीटकर पतली चादर में बदला जा सकता है। अधातुएँ आघातवर्ध्य नहीं होतीं।
5. तन्यता धातुओं को खींचकर पतली तार में बदला जा सकता है। अधातुएँ तन्य नहीं होतीं।
6. विद्युत व ऊष्मा चालकता

धातुएँ विद्युत एवं ऊष्मा की सुचालक होती हैं।

*सीसा (Pb) एवं पारा (Hg) कुचालक होते हैं।

अधातुएँ कुचालक होती हैं।

*ग्रेफाइट (C) सुचालक होता है।

7. घनत्व

धातुओं का घनत्व सामान्यतः अधिक होता है।

*सोडियम एवं पोटैशियम का घनत्व कम होता है।

अधातुओं का घनत्व कम होता है।
8. ध्वानिकता धातुएँ कठोर सतह से टकराने पर ध्वनि उत्पन्न करती हैं। अधातुएँ ध्वानिक नहीं होतीं।
9. ऑक्साइड धातुएँ क्षारकीय या उदासीन ऑक्साइड बनाती हैं। जैसे: MgO (मैग्नीशियम ऑक्साइड) अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं। जैसे: SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड)

 

धातु के उदाहरण:

आयरन (Fe), ऐलुमिनियम (Al), चाँदी (Ag), कॉपर (Cu)


अधातु के उदाहरण:

हाइड्रोजन (H), नाइट्रोजन (N), सल्फर (S), ऑक्सीजन (O)


धातुओं के रासायनिक गुणधर्म


(i) वायु के साथ अभिक्रिया:

धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड बनाती हैं।

सामान्य प्रतिक्रिया:  धातु + ऑक्सीजन → धातु ऑक्साइड

उदाहरण:

2Cu + O₂ → 2CuO (कॉपर ऑक्साइड – काला)

4Al + 3O₂ → 2Al₂O₃ (ऐलुमिनियम ऑक्साइड)

2Mg + O₂ → 2MgO (मैग्नीशियम ऑक्साइड)


विभिन्न धातुओं की वायु के साथ अभिक्रिया:

 

  • Na और K वायु में आग पकड़ लेते हैं, इसलिए इन्हें केरोसिन तेल में रखा जाता है।
  • Mg, Al, Zn, Pb वायु के साथ धीरे-धीरे अभिक्रिया करते हैं और ऑक्साइड की परत बना लेते हैं।
  • Fe (आयरन) वायु में गर्म करने पर प्रज्वलित नहीं होता, लेकिन लौह चूर्ण ज्वाला में जलता है।
  • Cu प्रज्वलित नहीं होता लेकिन उस पर काले रंग की कॉपर ऑक्साइड परत बन जाती है।
  • Ag (चाँदी) और Au (सोना) ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते।


उभयधर्मी ऑक्साइड:

वे धातु ऑक्साइड जो अम्ल और क्षार दोनों के साथ अभिक्रिया करते हैं।

उदाहरण:

  • Al₂O₃ + 6HCl → 2AlCl₃ + 3H₂O
  • Al₂O₃ + 2NaOH → 2NaAlO₂ + H₂O (सोडियम ऐलुमिनेट)

 

(ii) जल के साथ अभिक्रिया:

  • धातु + जल → धातु ऑक्साइड + हाइड्रोजन
  • धातु ऑक्साइड + जल → धातु हाइड्रॉक्साइड

क्रियाशीलता के आधार पर धातुएँ:

  • ठंडे जल के साथ क्रियाशील: Na, K, Ca
  • गर्म जल के साथ क्रियाशील: Mg
  • केवल भाप के साथ क्रियाशील: Al, Fe, Zn
  • जल के साथ अभिक्रिया नहीं: Pb, Cu, Au, Ag

उदाहरण:

  • 2Na + 2H₂O → 2NaOH + H₂ + ऊष्मा
  • Ca + 2H₂O → Ca(OH)₂ + H₂
  • Mg + 2H₂O (भाप) → Mg(OH)₂ + H₂
  • 2Al + 3H₂O (भाप) → Al₂O₃ + 3H₂
  • 3Fe + 4H₂O (भाप) → Fe₃O₄ + 4H₂

Ca और Mg तैरते हैं क्योंकि हाइड्रोजन गैस के बुलबुले धातु की सतह पर चिपक जाते हैं।

 

(iii) तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया:

  • धातु + तनु अम्ल → लवण + हाइड्रोजन गैस

उदाहरण:

  • Fe + 2HCl → FeCl₂ + H₂
  • Mg + 2HCl → MgCl₂ + H₂
  • Zn + 2HCl → ZnCl₂ + H₂
  • 2Al + 6HCl → 2AlCl₃ + 3H₂

Cu, Ag, Hg तनु अम्लों के साथ अभिक्रिया नहीं करते।

 

(iv) अन्य धातु लवणों के साथ अभिक्रिया:

अधिक क्रियाशील धातुएँ, कम क्रियाशील धातुओं को उनके लवण विलयन से विस्थापित करती हैं।

उदाहरण:

  • Fe + CuSO₄ → FeSO₄ + Cu
  • Zn + CuSO₄ → ZnSO₄ + Cu


सक्रियता श्रेणी:

वह सूची जिसमें धातुओं को उनकी क्रियाशीलता के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया है।

  • अधिक क्रियाशील धातुएँ: K, Na, Ca, Mg, Al
  • मध्यम क्रियाशील धातुएँ: Zn, Fe, Pb
  • कम क्रियाशील धातुएँ: Cu, Hg, Ag, Au

 

(v) धातुओं की अधातुओं के साथ अभिक्रिया:


धातु और अधातु के बीच अभिक्रिया आयनिक यौगिकों के निर्माण का कारण बनती है। धातु के परमाणु अपने संयोजकता कोश से इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाते हैं, जबकि अधातु के परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाते हैं।

उदाहरण: NaCl का निर्माण

  • Na (2,8,1) → Na⁺ (2,8) + e⁻
  • Cl (2,8,7) + e⁻ → Cl⁻ (2,8,8)


आयनिक यौगिकों के गुणधर्म:

  1. भौतिक प्रकृति: आयनिक यौगिक ठोस और कठोर होते हैं, लेकिन भंगुर होते हैं।
  2. गलनांक और क्वथनांक: आयनिक यौगिकों का गलनांक और क्वथनांक बहुत अधिक होता है।
  3. घुलनशीलता: आयनिक यौगिक जल में घुलनशील होते हैं लेकिन केरोसीन और पेट्रोल जैसे कार्बनिक विलायकों में अविलेय होते हैं।
  4. विद्युत चालकता: आयनिक यौगिक ठोस अवस्था में विद्युत का चालन नहीं करते, लेकिन जलीय विलयन या गलित अवस्था में विद्युत का चालन करते हैं।


धातुओं की प्राप्ति / धात्विकी


खनिज (Minerals):

  • पृथ्वी में प्राकृतिक रूप से उपस्थित तत्वों एवं यौगिकों को खनिज कहते हैं।
  • उदाहरण: बॉक्साइट (Al), हेमेटाइट (Fe), गेहल (Cu), सिनाबार (HgS) आदि।


अयस्क (Ore):

  • वे खनिज जिनमें धातु अधिक मात्रा में पाई जाती है और जिन्हें निष्कर्षण के लिए खनन किया जाता है।
  • उदाहरण: हेमेटाइट (Fe₂O₃), बॉक्साइट (Al₂O₃), गैलिना (PbS) आदि।


गैंग (Gangue):

खनिज अयस्क में पाए जाने वाले अशुद्ध पदार्थ, जैसे रेत, मिट्टी आदि, जिन्हें खनन के बाद हटाया जाता है।

 

धातु निष्कर्षण की प्रक्रिया

धातुओं के निष्कर्षण के मुख्य चरण:


1. अयस्कों का समृद्धिकरण (Ore Concentration):

  • धातु की मात्रा को बढ़ाना और अवांछनीय अशुद्धियों (गैंग) को हटाना।
  • विधियाँ:
    • वाष्पीकरण (Vaporization): हाइड्रोलिक पद्धति, चुंबकीय पृथक्करण।
    • विभाजन (Separation): पंप और स्पिनिंग ड्रम द्वारा।


2. धातुओं का निष्कर्षण (Extraction of Metals):

उच्च ताप पर तापन (Roasting और Calcination) धातु निष्कर्षण की महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ हैं, और इन्हें समझना परीक्षा के दृष्टिकोण से भी बहुत जरूरी है। आइए इन्हें एनसीईआरटी के उदाहरणों के साथ विस्तार से समझते हैं।


(i).
तापन ( Roasting )

परिभाषा:

रोस्टिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें सल्फाइड अयस्कों को वायु (ऑक्सीजन) की उपस्थिति में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे सल्फाइड अयस्कों के धातु का ऑक्साइड बन जाता है और सल्फर गैस के रूप में निकल जाता है।

प्रक्रिया:

इसमें मुख्य रूप से सल्फाइड अयस्क जैसे  ZnS (जिंक सल्फाइड) या CuFeS2 (कॉपर आयरन सल्फाइड) को वायु के साथ गर्म किया जाता है। यह प्रक्रिया धातु की ऑक्साइड (जैसे ZnO, FeO) प्राप्त करने के लिए की जाती है, जो आगे अपचयन (Reduction) के द्वारा शुद्ध धातु में बदली जा सकती है।

उदाहरण:

1. जिंक सल्फाइड का रोस्टिंग: 2ZnS+3O2​→2ZnO+2SO2

व्याख्या:

  • यहां ज़िंक सल्फाइड (ZnS) वायु में ऑक्सीजन (O2​) के साथ अभिक्रिया करता है और ZnO (जिंक ऑक्साइड) और SO2​ (सल्फर डाइऑक्साइड) गैस बनाता है।
  • इस प्रक्रिया में सल्फर गैस (SO2) को वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है।

2. कॉपर आयरन सल्फाइड का रोस्टिंग:
2CuFeS2 ​+ 7O2 ​→ 2CuO + 2FeO + 4SO2

व्याख्या:

  • यहां कॉपर आयरन सल्फाइड (CuFeS2​) ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके कॉपर ऑक्साइड (CuO), आयरन ऑक्साइड (FeO) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2​) उत्पन्न करता है।

महत्व:

रोस्टिंग का मुख्य उद्देश्य धातु के अयस्क से सल्फाइड को हटाकर धातु का ऑक्साइड बनाना है, जो बाद में अपचयन द्वारा शुद्ध धातु में बदला जाता है।

 

(ii). Calcination (कैल्सिनेशन)


परिभाषा:

कैल्सिनेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें कार्बोनेट अयस्कों को सीमित वायु या वायु के बिना उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है। इस प्रक्रिया में कार्बोनेट अयस्क ऑक्साइड में बदल जाते हैं, और कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2​) उत्सर्जित होती है।


प्रक्रिया:

कैल्सिनेशन में मुख्य रूप से कार्बोनेट अयस्कों को तपाया जाता है। इस प्रक्रिया में कार्बोनेट अयस्क (जैसे कैल्साइट CaCO3​) को उच्च तापमान पर गर्म करके उसे ऑक्साइड में बदल दिया जाता है, और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस निकल जाती है।


उदाहरण:

1. कैल्साइट (कैल्शियम कार्बोनेट) का कैल्सिनेशन: CaCO3 ​तापन​ CaO+CO2​

व्याख्या:

  • कैल्साइट (कैल्शियम कार्बोनेट) को उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2​) उत्पन्न होते हैं।
  • इस प्रक्रिया का उद्देश्य कैल्शियम ऑक्साइड प्राप्त करना होता है, जो विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग होता है।

 

2. जिंक कार्बोनेट का कैल्सिनेशन: ZnCO3​ तापन​ ZnO+CO2​

व्याख्या:

  • जिंक कार्बोनेट को ताप देकर जिंक ऑक्साइड (ZnO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2​) गैस प्राप्त होती है।

महत्व:

कैल्सिनेशन प्रक्रिया का उद्देश्य कार्बोनेट अयस्कों से कार्बन डाइऑक्साइड गैस को हटाकर धातु का ऑक्साइड प्राप्त करना है, जो बाद में अपचयन द्वारा शुद्ध धातु में बदला जाता है।

Roasting और Calcination में अंतर:

विशेषता रोस्टिंग (Roasting) कैल्सिनेशन (Calcination)
अयस्क सल्फाइड अयस्क (जिंक सल्फाइड, आदि) कार्बोनेट अयस्क (कैल्साइट, आदि)
तापमान उच्च ताप पर, वायु की उपस्थिति में उच्च ताप पर, सीमित वायु में या वायु के बिना
उत्पाद धातु का ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड धातु का ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड
प्रक्रिया का उद्देश्य सल्फाइड से सल्फर को निकालना कार्बोनेट से कार्बन डाइऑक्साइड को निकालना

 

धातुओं का परिष्करण (Refining of Metals)


धातुओं का परिष्करण वह प्रक्रिया है, जिसमें अशुद्ध धातु से शुद्ध धातु प्राप्त की जाती है। परिष्करण की कई विधियाँ होती हैं, जिनमें विद्युत अपघटन (Electrolytic Refining) एक महत्वपूर्ण विधि है। यह विधि विशेष रूप से तांबे (Copper), चांदी (Silver), और सोने (Gold) जैसी धातुओं के शुद्धिकरण के लिए उपयोग की जाती है।


1. विद्युत अपघटन (Electrolytic Refining)

परिभाषा:

विद्युत अपघटन वह प्रक्रिया है, जिसमें विद्युत धारा को एक विलयन में प्रवाहित किया जाता है, जिससे अशुद्ध धातु को शुद्ध धातु में बदला जाता है। यह प्रक्रिया धातु के शुद्ध रूप को प्राप्त करने के लिए की जाती है।

प्रक्रिया का सिद्धांत:

  • ऐनोड (Anode):
    • ऐनोड पर अशुद्ध धातु होती है (जैसे अशुद्ध तांबा)।
  • कैथोड (Cathode):
    • कैथोड पर शुद्ध धातु प्राप्त होती है (जैसे शुद्ध तांबा)।
  • विलयन (Electrolyte):
    • इस प्रक्रिया के लिए एक उपयुक्त विलयन (Electrolyte) का चयन किया जाता है, जैसे तांबे के शुद्धिकरण के लिए CuSO₄ (Copper Sulphate) का विलयन।
  • विद्युत धारा (Electric Current):
    • जब विद्युत धारा को ऐनोड और कैथोड के बीच प्रवाहित किया जाता है, तो ऐनोड से अशुद्ध धातु को आयनित किया जाता है और यह आयन कैथोड पर शुद्ध रूप में जमा हो जाता है।


तांबे (Cu) का परिष्करण:

तांबे का परिष्करण विद्युत अपघटन द्वारा इस प्रकार होता है:

  • ऐनोड: अशुद्ध तांबा
    • ऐनोड पर अशुद्ध तांबा होता है, जिसमें तांबे के अलावा अन्य अशुद्धियाँ (जैसे, सोना, चांदी, आर्सेनिक) भी शामिल होती हैं।
  • कैथोड: शुद्ध तांबा
    • कैथोड पर शुद्ध तांबा जमा होता है, क्योंकि विद्युत धारा के कारण तांबे के आयन ऐनोड से कैथोड पर आकर शुद्ध रूप में धातु में बदल जाते हैं।
  • विलयन:
    • तांबे के शुद्धिकरण के लिए CuSO₄ (तांबा सल्फेट) का विलयन उपयोग किया जाता है।
    • प्रक्रिया के दौरान, तांबे के आयन विलयन में घुलते हैं और कैथोड पर शुद्ध तांबे के रूप में जमा हो जाते हैं।


प्रतिक्रिया (Electrolytic Reaction):

1. ऐनोड पर प्रतिक्रिया (Anode Reaction):

ऐनोड पर तांबे की अशुद्धियों के कारण तांबे के आयन (Cu2+) विलयन में घुलते हैं और सिल्वर, सोने जैसी अशुद्धियाँ ऐनोड पर जमा हो जाती हैं, जो बाद में ऐनोड पंक (Anode mud) के रूप में अलग हो जाती हैं।

  • Cu (s)Cu22e


2. कैथोड पर प्रतिक्रिया (Cathode Reaction):

कैथोड पर तांबे के आयन (Cu2+) का अपचयन (reduction) होता है और शुद्ध तांबा जमा हो जाता है।

  • Cu2+ 2e → Cu (s)

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • अशुद्धियाँ (Impurities):
    • ऐनोड से निकलने वाली अशुद्धियाँ (जैसे सोना, चांदी, आर्सेनिक) ऐनोड पंक में जमा हो जाती हैं, जिन्हें बाद में अलग किया जा सकता है।
  • विलयन (Electrolyte):
    • तांबे के शुद्धिकरण के लिए CuSO₄ का विलयन और पतला सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग किया जाता है।
  • शुद्ध धातु (Pure Metal):
    • विद्युत अपघटन प्रक्रिया में शुद्ध तांबा कैथोड पर जमा होता है और यह 99.9% शुद्ध होता है।

उदाहरण:

1. तांबे का परिष्करण (Copper Refining):

  • ऐनोड: अशुद्ध तांबा (Copper)
  • कैथोड: शुद्ध तांबा (Pure Copper)
  • विलयन: CuSO₄


2. प्रतिक्रिया:

  • ऐनोड पर तांबा आयनित होता है: 
    • Cu (s)Cu2+ 2e
  • कैथोड पर तांबा आयन जमा होता है: 
    • Cu2+ 2e Cu (s)


3. चांदी का परिष्करण (Silver Refining):

इसी तरह, चांदी को भी विद्युत अपघटन से शुद्ध किया जा सकता है, जहां चांदी के आयन विलयन में घुलते हैं और कैथोड पर शुद्ध चांदी के रूप में जमा हो जाती है।

धातुओं की सक्रियता श्रेणी और निष्कर्षण विधियाँ

धातुओं को उनके अभिक्रियाशीलता के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:

 

धातु अभिक्रियाशीलता निष्कर्षण विधि
Ca, Mg, Al सबसे अधिक विद्युत अपघटन
Zn, Pb, Fe मध्य कार्बन द्वारा अपचयन
Cu, Hg कम रासायनिक प्रक्रिया
Ag, Au सबसे कम प्राकृतिक रूप में

 

अभिक्रियाशीलता एवं निष्कर्षण विधियाँ:

  • सक्रिय धातुएं (Highly Reactive Metals):
    • जैसे Ca, Mg, Al, विद्युत अपघटन द्वारा निष्कर्षित होती हैं क्योंकि ये रासायनिक रूप से बहुत सक्रिय होती हैं।
  • मध्यम सक्रिय धातुएं (Moderately Reactive Metals):
    • जैसे Zn, Fe, Pb, इनका निष्कर्षण कार्बन द्वारा अपचयन प्रक्रिया से होता है।
  • कम सक्रिय धातुएं (Less Reactive Metals):
    • जैसे Cu, Hg, इन धातुओं का निष्कर्षण अन्य रासायनिक प्रक्रियाओं से किया जाता है, जैसे गरम करने पर इनका निष्कर्षण।


संक्षारण (Corrosion)

धातुएँ वायुमंडल में आर्द्रता, अम्ल, वायु आदि के संपर्क में आने पर संक्षारित हो जाती हैं। यह प्रक्रिया धातु के गुणों में हानि का कारण बनती है।

संक्षारण के उदाहरण:

1. सिल्वर (Silver):

वायुमंडल में सल्फर के साथ अभिक्रिया करके सिल्वर सल्फाइड (Ag₂S) बनाता है, जिससे सिल्वर काला हो जाता है।

2Ag+S→Ag2S


2. कॉपर (Copper):

कॉपर, आर्द्र कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के साथ प्रतिक्रिया करके हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट (CuCO₃) बनाता है।

2Cu + H2+CO2 + O2CuCO₃Cu(OH)₂

 

3. लोहा (Iron):

आर्द्र वायु में लोहे पर भूरे रंग की परत बन जाती है, जिसे जंग (rust) कहते हैं। यह एक ऑक्साइड परत होती है जो लोहे के अंदर तक फैल सकती है।

 

संक्षारण से सुरक्षा के उपाय (Methods of Preventing Corrosion)

(i). पेंटिंग और कोटिंग (Painting and Coating):

धातु की सतह पर पेंट, तेल, ग्रीस आदि लगाकर संक्षारण से बचाया जा सकता है।


(ii). यशदलेपन (Galvanization):

लोहे और इस्पात पर जस्ते की परत चढ़ाने की प्रक्रिया। जस्ता (Zinc) की परत लोहे को वायुमंडलीय संक्षारण से बचाती है।


(iii). क्रोमियम लेप (Chromium Plating):

धातुओं की सतह पर क्रोमियम की परत चढ़ाना जिससे जंग की संभावना कम हो जाती है।


(iv). ऐनोडीकरण (Anodizing):

एल्यूमीनियम जैसी धातुओं की सतह पर एक घनी ऑक्साइड परत का निर्माण। यह परत धातु को जल और वायु से होने वाले संक्षारण से बचाती है।


(v). मिश्रधातु (Alloys):

कुछ धातुओं को मिलाकर मिश्रधातु बनायी जाती है ताकि उनकी संक्षारण के खिलाफ प्रतिरोधकता बढ़ाई जा सके। उदाहरण: स्टेनलेस स्टील (स्टील + क्रोमियम)।

 

 

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